Thursday, 21 February 2013

लडकी

दिल्लीमध्ये जेव्हा 'निर्भया' सोबत ती वाईट घटना घडली तेव्हा एक स्त्री म्हणून मनात निर्माण झालेले भाव ह्या कवितेच्या रूपाने …


जब मेरा निर्माण हुआ
पेहली बार मैंने मां-बाप को सुना
बोल रहे थे सब आएगा नन्हा राजा
बनेगा हमारे वंष का दिया

जब समझा उनकों आऊंगी में
सब बोले अब नही जीयेगी ये
मां बोली मेरी, जरुर आएगी गुडीया राणी
प्रेम से भरदेगी दुनिया सारी

जब दुनिया मैं पहला कदम रखा
तब से मैंने यही सुना
ना तु हमारे साथ रहेगी
क्यों तुझे पढएं हम, कयों बनाएं बडा

जब सबसे लडकर आगे आई मैं
हर कदम पर बुरी नजर से लढती रही मैं
लाख बार बचाया मैनें खुदको
कभी बोला ऊनको, कभी कोसां खुदको

जब आज मैंने सहन किया ये अत्याचार
खुदको ना संभाल पाई मैं
बहोत कुछ खोया हैं मैनें
पर भरोसा हैं सबसे ऊट पाऊंगी मैं

जब सोचती हुं ये क्या हो रहा हैं
मेरे जैसे हर लडकी के साथ
क्या कमजोर पड रहें है हम
क्यों ना खुदको बचा पा रहे है हम

जब ये सोचा मैंने, मैंने ये तय किया
पता नही कब कम होंगें ये हैवान
पर मैं बनुंगी सामर्थ्यवान
मुझ मैं हे काली ये भुल गया है इन्सान




Yogita Prakash Shinde

3 comments: